उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएसन को यदि उत्तराखंड चिल्डरन हरासमेंट एसोशिएशन कहे तो ज्यादा उचित रहेगा, जैसे कि पिछले दिनों एक सीनियर कोच और लिटिल मास्टर क्रिकेट अकादमी के मालिक नरेंद्र शाह की वीडियो सामने आई, जिसमें वह एक लड़की के साथ अश्लीलता पूर्ण बाते करने के साथ ही, उसे अन्य दो अधिकारियों के साथ जाने के लिए भी बोल रहा है, और लड़की को गाली देकर डराने की कोशिश भी कर रहा है, आप सोच सकते है 14-15 वर्ष की लड़की जो क्रिकेट के क्षेत्र में अपना कॅरिअर संवारने के लिए उसकी अकादमी में आई है, जिसे कि सबसे पहले मानसिक रूप से स्वस्थ रहना है, उस लड़की के साथ वह किस प्रकार का बर्ताव कर रहा है ऐसी स्थिति में एक लड़की की मानसिक स्थिति क्या होगी , क्या वह मानसिक रूप से खेलने के लिए और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने को तैयार हो पायेगी।
गुरु और शिष्य का रिश्ता पवित्र माना जाता है, लेकिन नरेंद्र शाह जैसे मानसिक रूप से बीमार लोग इस रिश्ते को तार तार कर देते हैं, मै उन बेटियो को सलाम करता हु, जिन्होंने घटना की जानकारी साझा की,पुलिस प्रशासन में शिकायत दर्ज की और इस विषय पर हर अभिभावक को सोचने में विवश कर दिया, ऐसे कई मामले आते हैं, लेकिन उन्हे दबा दिया जाता है, वैसे तो उत्तराखंड क्रिकेट असोसिएशन शुरुआत से ही विवादो में रहा है, ऐसे लोगो को जिनका क्रिकेट जगत से कुछ लेना देना ही नहीं वे अपने आकाओ को मना कर ऊँचे पदों पर विराजमान है, साथ ही अन्य जो सदस्य बनाए गए हैं वे भी इनकी ही जी हजुरी करने वाले बनाए गए हैं।
इसके सचिव महिम वर्मा पर आरोप कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी उन पर फिरौती, और जूनियर टीम के खिलाडी के साथ मार पीट का मुकदमा हाई कोर्ट में चल रहा है, तथा पूर्व में उसे पकड़ने के लिए तत्कालीन एस एस पी देहरादून जन्मेजय खंडूडी जी द्वारा SOG(Special opperation group) गठित किया गया, जिसका टास्क फरार महिम वर्मा को गिरफ्तार करना था लेकिन ऊँची रसुख के कारण वह फिर न सिर्फ बच गया साथ में पुनः जनवरी में उसे सचिव बना दिया गया।यदि ऐसे आरोपी पर हमारे युवाओं का भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी होगी तो हर वे अभिभावक अंदाजा लगा सकते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा जिन्होंने क्रिकेट अकादमी में अपने बच्चो को रखा है। ये वो दीमक है जिन्होंने राज्य के होनहार खिलाडियों के भविष्य को कुरेदना है।
अभी तक तीन अभिभावको ने ssp देहरादून में शिकायत दर्ज की है, जिसमे साफ है कि सचिव और एक सदस्य के साथ कोच नरेंद्र शाह द्वारा दबाव बनाया जाता था, ऐसे में जब अध्यक्ष से बात की गयी तो ऐसा लगा कि वे सिर्फ मोम के पुतले की तरह कुर्सी पर बिताए गए हैं और महिम वर्मा के खिलाफ तो बोलने से भी कतरा रहे थे, लेकिन राज्य में क्रिकेट को बचाने के लिए यह आवश्यक है कि राज्य सरकार संज्ञान ले और उचित पोक्सो एक्ट में तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी हो साथ ही, असोसिएशन को तत्काल भंग किया जाए, और सभी क्रिकेट अकादमी की जाँच हो, इसके मानक बनाए जाए। ताकि क्रिकेट जैसे खेल में इस प्रकार के मानसिक बीमार लोग ना रहे और हमारे खिलाडियों का भविष्य संवर सके।।
राजेंद्र सिंह बिष्ट
केंद्रीय अध्यक्ष युवा उक्रांद