मेला गुघाल के स्थानीय मुशायरे की शमा रोशन करते महापौर डॉ. अजय कुमार, व कार्यक्रम संयोजक फहाद सलीम व अन्य
फोटो-अपना कलाम पेश करते शायर
…… जिंदा हूं देख इतनी तबाही के बाद भी
-मेला गुघाल के मुशायरे में शायरों ने तड़के चार बजे तक श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी
सहारनपुर। सामाजिक समरसता व कौमी एकता के प्रतीक मेला गुघाल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में शुक्रवार की रात स्थानीय मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे का उद्घाटन महापौर डॉ. अजय कुमार, कार्यक्रम संयोजक फहाद सलीम, मेला चेयरमैन चौधरी वीरसेन सिद्धू, चौ. अब्दुल वाहिद, सरफराज खां व कार्यक्रम अध्यक्ष योगेश दहिया ने रिबन काटकर किया। मुशायरे की शमा महापौर डॉ. अजय कुमार, संयोजक फहाद सलीम, सय्यैद शकील, उपसभापति मुकेश गक्खड़ व पार्षद संजय गर्ग आदि ने की।
कार्यक्रम में शहर के उस्ताद शायरों फय्याज नदीम, डॉ. दानिश कमाल, आसिम पीरजादा, डॉ. मौहम्मद अहमद अमजद, अय्यूब सादिक को शॉल व विशेष एवार्ड देकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व स्ंायोजक पार्षद फहाद सलीम, सहसंयोजक फैसल भारती, मौ. नवेद व मौ. दानिश ने महापौर डॉ. अजय कुमार, योगेश दहिया, अनवार सिद्दकी एडवोकेट व अन्य अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिहन देकर उनका स्वागत और अभिनंदन किया।
मुशायरे की शुरुआत अनवर देवबंदी की नात ए पाक से हुई। दो दर्जन से ज्यादा शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किये। मुशायरे की खास बात ये रही कि स्थानीय मुशायरा होने के बावजूद दूसरे शहरों से भी शायर आमंत्रित किये गए थे। शायर जावेद आसी ने अपने इस शेर से खूब तालिया बटोरी- ‘कोई एक कश लगाकर फेंक देता है सिगार अपना/कोई अफसोस करता है जो बीड़ी टूट जाती है।’ महमूद असर का कलाम देखिए- ‘अपने खिलाफ़ तेरी गवाही के बाद भी/ जिंदा हूं देख इतनी तबाही के बाद भी।’
मुशायरा उस समय बुलंदियों पर पहुंच गया जब मेहनाज स्योहारवी ने पढ़ा-‘मुँह फेरकर वो मेरी तरफ से गुज़र गए/जितने हसीन ख्वाब थे सारे बिखर गए’। आबिद हसन वफा ने पढ़ा -‘मैं जीता बहुत हूं, वो हारा बहुत है/ बुलंदी पे मेरा सितारा बहुत है’। मुस्तकीम रोशन का ये अंदाज भी खूब सराहा गया- ‘हम तो आये थे दो चार घड़ी बैठेंगे/मेजबां हैं के तकल्लुफ का ठिकाना क्या है’। खुर्रम सुल्तान ने अपने इस शेर से खूब वाहवाही लूटी-‘जरा सी अक्ल, सलीका, शऊर कुछ भी नहीं/ करीब जाके जो देखा हूजूर कुछ भी नहींें’। मेहमान शायर साहिल माधोपुरी, वली देवबंदी, मौज सियोहारवी, साबिर बेहटवी, नदीम अनवर देवबंदी, असकरी जै़दी गदीरी, अलीम वाजिद, नईम अख्तर, सुहेल आतिर, सुल्ताना जहां, इक़रा नूर व लता साबरी ने भी अपने शायरी से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
इनके अलावा शायर शरर अकमली, असलम मोहसिन, तालिब इरफानी, ताहिर अमीन, फ़राज अहमद, काशिफ रज़़ा, बरकतुल्लाह शाद, अनवर साबरी, अशरफ हिलाल, अनसर अंजुम, रहमान रज़ा, बशारत शेरवानी, अब्दुर्रहमान मोमिन, जुनैद सहारनपुरी, गुल मोहम्मद गुल, मौ.एहकाम हकीम जलाली ने भी अपने कलाम पेश किये। श्रोताओं ने सभी शायरों को उनकी शायरी के वनज के हिसाब से दाद दी। कार्यक्रम में पार्षद मंसूर बदर, आसिफ अंसारी पार्षद प्रतिनिधि सईद सिद्दकी, नितिन जाटव,एहतेशाम मलिक के अलावा वासिल तोमर, हैदर मुखिया, चौ. अख्तर, आसिफ सेठी, राव इमरान, समद खां आदि मौजूद रहे। संचालन आबिद हसन वफा व गुलजार जिगर ने किया।